यहाँ वन औषधियों को जलाकर उसके धुआं से होता है इलाज : पिछले 60 सालों से आरोग्याश्रम में की जा रही है चिकित्सा
सिटी स्टार्स । नालंदा/राजगीर
हवन चिकित्सा एवं नेचुरोपैथी से पुराने से पुराने रोगों का इलाज किया जाता है। इसमें काफी सरल विधि से इलाज होता है। मानव जीवन को प्रभावित करने वाले दूषित वायु जो मनुष्य के श्वास से शरीर में विभिन्न रोगों को जन्म देता है उससे भी छूटकारा मिलता है। हवन विधि में वन औषधियों को जलाकर हवन के धुआं से श्वास खींचकर इलाज किया जाता है। यह काफी कारगर उपाय है। ये बातें राष्ट्रीय अध्यात्म सलाहकार डॉ. सुखनारायण भैया ने गुरुवार को बड़ी मिल्की स्थित प्राकृतिक चिकित्सालय आरोग्याश्रम में हवन चिकित्सा की शुरूआत करते हुए कहीं। डॉ. सुखनारायण ने कहा कि नेचुरोपैथी, योग, आयुर्वेदिक, राजगीर का गर्म जलधारा से गैस्ट्रिक, त्वचा, कैंसर, बवासीर, शुगर, मोटापा, लकवा, मंुहासा, हृदय रोग, गठिया, वात सहित अन्य का इलाज संभव है। आरोग्याश्रम के संचालक उमेश कुमार ने बताया कि यहां पर पिछले 60 सालों से सैंकड़ों रोगी को स्वस्थ किया गया है। मानव सेवा सबसे बड़ी सेवा है। यह आश्रम हमेशा ही सबों के लिए खुला हुआ है। राजगीर के जंगलों में जड़ी-बूटी की भरमार है। इससे जटिल से जटिल बीमारी को भी ठीक किया जा सकता है। रामप्रवेश दास ने बताया कि यहां पर उन्होंने बचपन से ही रोगियों को ठीक होकर जाते देखा है। आश्रम के संस्थापक स्व. डॉ. आनंदी प्रसाद ने उन्हें काफी कुछ सीखाया था। उन्हीं के बताये गुर से वे मरीजों को ठीक करने में लगे हैं।