तपेदिक लाइलाज बीमारी नहीं, लक्षण दिखाई देने पर कराएं इलाज
नूरसराय । पुतूल सिंह
विश्व तपेदिक दिवस के मौके पर पावापुरी विम्स में इलाज कराने आये मरीजों व उनके परिजनों को गौतम इंस्टीच्यूट ऑफ नर्सिंग एंड परामेडिक्स के बीएससी नर्सिंग के चौथे सत्र के प्रशिक्षुओं ने पोस्टर के माध्यम से तपेदिक बीमारी के बारे में जागरूक किया। नर्सिंग प्रशिक्षु रवि, पम्मी, अमीषा, संजीता , अनुपम सहित अन्य प्रशिक्षुओं ने लोगों को बताया कि यह एक घातक बीमारी है पर लाइलाज नहीं है। इससे ग्रसित व्यक्ति को सांस लेने या छीकने से हवा में छोड़ी गयी छोटी बूंदों के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है।मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है। प्रशिक्षुओं ने बताया कि तीन सप्ताह से अधिक समय तक खांसी होना, सांस फूलना, सांस लेने में तकलीफ होना, बुखार बढ़ना, सीने में तेज दर्द होना, अचानक बजन का घटना,भूख में कमी, बलगम के साथ खून आना सहित अन्य लक्षण दिखाई दे तो तुरंत चिकित्सक से इलाज कराना चाहिए। संस्थान के अध्यक्ष डॉ. अभिजीत कुमार गौतम ने बताया कि तपेदिक को बोल चाल की भाषा मे टीबी कहते हैं। पूरे दुनिया में टीबी रोगों से ग्रसितों की कुल संख्या का 25 प्रतिशत भारत में है। बिहार में एक लाख छह हजार से अधिक टीबी के मरीज है। इससे बचाव के लिए अपनी इम्युनिटी को बढ़िया रखें। कमजोर इम्युनिटी से टीबी के बैक्टीरिया के एक्टिव होने के चांस होते हैं।।न्यूट्रिशन से भरपूर खासकर प्रोटीन डायट में सोयाबीन,दाल,मछली,अंडा,पनीर सहित अन्य लेना चाहिए। प्राचार्य हीरामणि कुमारी ने बताया कि अगर किसी महिला को यूटरस टीबी से ग्रसित होने पर माँ बनने में दिक्कतें आती है। हालांकि सही इलाज होने के बाद वह माँ बन सकती है। गर्भवती महिला को यदि टीबी है तो आमतौर पर यह बीमारी माँ से बच्चों को नहीं लगती है। बच्चे को जन्म के बाद टीबी से बचाव की दवा भी दिया जाता है। मौके पर एडुआना गंगमई, महेश प्रसाद, नेल्सन, सरिता कुमारी सहित अन्य मौजूद थे।