कब होगा किसानों के रसीदों पर ऑनलाइन खेसरा :
अवैध कर्मी रूपी दलालों के पास न कोई नौकरी, न रोजगार फिर भी हैं करोड़पति :
सिटी स्टार्स । नालंदा/राजगीर
अंचल कार्यालय में सीओ समेत कई राजस्व कर्मचारियों पर विभाग ने कार्रवाई की थी। इस बात को अभी सात माह भी नहीं बीते हैं कि एक बार फिर से अंचल कार्यालय में वही पुराना खेल शुरू हो चुका है। कहने को तो अंचल कार्यालय में राजस्व कर्मचारी के बैठने सहित अन्य जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, इसके बाद भी राजस्व कर्मचारी अपने दलाल के साथ टेबल पर बैठे रहते हैं। ऐसे में किसान काफी परेशान हैं। दो साल पहले जिन किसानों ने अपनी जमीन को सुधार करवाने के लिए परिमार्जन किया था उनका अब तक कोई सुध नहीं लिया जा रहा है। इसके अलावा दाखिल खारीज को भी कुछ ऐसा ही हाल है। कहने के लिए मार्च से सरकार ने फीफो लागू कर दिया है। पहले आओ पहले पाओ, पर यह सब सिर्फ कहने के लिए ही है। बिना चढ़ावा के कुछ भी नहीं होता है। आज भी कार्यालय में राजस्व कर्मचारियों के दलाल ही दलाल नजर आते हैं। राजस्व कर्मचारी नये आ गये पर व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं हुआ। किसानों के खेतों का प्लॉट व खाता और रकवा अब तक नहीं सुधर रहा है। लोगों ने कहा कि जब तक अवैध कर्मचारी रूपी दलाल को प्रशासन व सरकार गिरफ्तार कर जेल नहीं भेजती है और उनकी संपत्ति की जांच नहीं करती है यह नहीं सुधर सकता है। इससे बेहतर तो 15 साल पहले ही था कि कम से कम कर्मचारी गांव में जाते थे और वहीं पर बैठकर खेतों की रसीद काटते थे। अब जब ऑनलाइन हो गयी है तो इसमें सुधार होने का नाम नहीं ले रहा है। कुछ किसानों का रसीद तो ऑनलाइन है पर उसमें खाता व खेसरा नहीं चढ़ाया गया है। इसके कारण उनको एलपीसी नहीं बन पाता है। इस कारण वे सरकार की फसल बीमा हो चाहे अन्य अनुदान का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। लोगों ने कहा कि इतना ही नहीं अंचल कार्यालय में ही ये दलाल लोग खुलेआम बैठे रहते हैं। इस कारण किसानों से लेकर आम आवाम का परिमार्जन व दाखिल खारीज का काम बिना लेन-देन के संभव नहीं हो पाता है। भले ही किसान सरकार के बताये रास्ते पर चलकर परिमार्जन के लिए ऑनलाइन आवेदन कर दिये हों। हद तो तब हो जाती है तब वहां पर तैनात सुरक्षाकर्मी व सीसीटीवी कैमरे के बाद भी कार्यालय में दलाल अपना काम करवाते रहते हैं। मोरा के किसान उपेन्द्र कुमार, कमलेश प्रसाद, कृष्णा प्रसाद, तिलैया के योगेन्द्र प्रसाद सहित अन्य ने कहा कि वे लोग दो साल पहले तो कोई महीनों पहले परिमार्जन के लिए आवेदन दिया। उनके रसीद में खाता, खेसरा नहीं चढ़ा हुआ है। अब तक वह नहीं हो पाया है। लोगों ने कहा कि अगर कर्मचारी के दलाल को पैसा दे दिया जाय तो वह तुरंत ही एक दो प्लॉट को चढ़ा देता है। अपनी ही जमीन को सही करवाने के लिए उन्हें सरकारी कर्मचारी के रखे गये दलालों की जी हुजुरी के अलावा उन पर दक्षिणा रूपी चढ़ावा देना पड़ता है। कई किसानों का तो अब तक ऑनलाइन पर जमीन का विवरण ही नहीं चढ़ाया गया है। 60 प्रतिशत से अधिक ऐसे किसान हैं जिनका ऑनलाइन तो है पर उनका खेसरा का चढ़ाव नहीं किया गया। किसानों ने बताया कि जब वे कार्यालय जाते हैं तो कर्मचारी कई तरह के कागजात की मांग करते हैं जो संभव नहीं हो पाता। वहीं जब रकम दी जाती है तो सारे मांग समाप्त हो जाते हैं और वह सही हो जाता है। अंचल कार्यालय के गलत कारनामों के कारण ही सीओ समेत कई राजस्व कर्मचारियों पर सरकार ने कार्रवाई की थी, इसके बाद दलालों का जमघट अंचल से हटने का नाम नहीं ले रहा है। किसानों ने बताया कि नये राजस्व कर्मचारियों पर भी अवैध कर्मियों व दलालों ने पकड़ बना ली है। दलाल समय से ऐसे कार्यालय जाते हैं जैसे सरकारी सेवक हों। इसके बाद भी अधिकारी इस बात से अनजान बनते हैं। हालांकि यह सब सीसीटीवी कैमरे में दिखता है। लोगों ने कहा कि जब तक अवैध कर्मचारी रूपी दलाल को प्रशासन अंचल से बाहर नहीं करती है तब तक व्यवस्था नहीं सुधर सकती है।
नये दाखिल खारीज के नियम से जागी थी आस :
सरकार ने एक मार्च से दाखिल खारीज की नई व्यवस्था की है। सरकार ने फर्स्ट इन फर्स्ट आउट का पालन अनिवार्य कर दिया है। इससे किसानों के साथ लोगों में भी यह आस जागी थी कि अब उनकी बारी आयेगी। इसके बाद भी ऐसा होता नहीं दिख रहा। कर्मचारी जी बिना चढ़ावा के आगे नहीं बढ़ रहे। कुछ का तो तीन सौ आगे का दाखिल खारीज कर दिया गया है पर पहले वाले अभी भी कतार में हैं। ऐसे में सरकार चाहकर भी सुधार नहीं कर सकती है। यहां तक की राजगीर शहर के कर्मचारी ने तो सरकार के सारे नियम को तोड़ते हुए सैंकड़ों किसानों को पीछे छोड़ते हुए एक व्यक्ति का दाखिल खारीज कर भी दिया है। लोगों ने कहा कि इस समय कहां गये सरकार के फीफो नियम।
22 नवम्बर को डीएम ने किया था राजस्व कर्मचारियों को निलंबित :
अंचल में राजस्व कर्मचारियों व उनके रखे गये दलालों की करतूतों की शिकायत के बाद डीएम ने 22 नवम्बर को अंचल के राजस्व कर्मचारियों को निलंबित किया था। यहां के राजस्व कर्मचारी व अधिकारी ने मिलकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की प्राचीन स्मारकों और पुरातात्विक स्थलों के अवशेषों के रखरखाव की भूमि को गलत तरीके से जमाबंदी कर दी थी। यही नहीं उस जमीन की 60 सालों का लगान एक साथ नर्गित कर दिया था। इसके अलावा रेल विभाग की भूमि, राजगीर जिला परिषद, धार्मिक न्यास परिषद द्वारा निबंधित हसनपुर मठ की भूमि के दाखिल खारीज को भी मंजूरी दे दी थी। कर्मचारियों व सीओ पर कार्रवाई के बाद कुछ दिनों तक तो अंचल में दलाल रूपी कर्मचारी नजर नहीं आये थे। बाद में वे धीरे-धीरे अपनी पकड़ नये राजस्व कर्मचारियों पर बना लिए।