रोप वे प्रबंधन व एनडीआरएफ ने मॉक ड्रिल से पर्यटकों को दिलाया सुरक्षा का भरोसा
सिटी स्टार्स । नालंदा/राजगीर
जिला आपदा प्रबंधन विभाग और अनुमंडल शासन की अगुवाई में एनडीआरएफ ट्रेनिंग टीम तथा रोप वे प्रबंधन की टीम ने संयुक्त रूप से बुधवार को मॉक पोल एंड ड्रिल कियइस दौरान आपदा प्रबंधन शाखा के प्रभारी पदाधिकारी उपासना सिंह, राजगीर एसडीएम अनिता सिन्हा, एनडीआरएफ कमांडर जयप्रकाश प्रसाद व तीन अधीनस्थ अधिकारी तथा रोप वे प्रबंधक दीपक कुमार के नेतृत्व में यह कार्यवाही संपन्न हुई। इस क्रम में दूसरे टावर के लगभग 60 फुट उपर लटके एट सीटर रोप वे केबिन में फंसे पर्यटकों को सुरक्षित कैसे निकालें। इसका मॉक ड्रिल किया गया। मॉक ड्रिल के समय एट सीटर केबिन रोप वे को एक घंटे के लिए बंद कर दिया गया था। जिसमें एनडीआरएफ टीम ने अपने सेफ्टी एंड टेक्नोलॉजिकल संसाधनों तथा खाली हाथ दोनों तरीकों से हवा में लटके और रोप वे केबिन में फंसे पर्यटकों को निकालने के हुनर का बेहतरीन प्रदर्शन किया। एनडीआरएफ टीम के कमांडेंट जयप्रकाश प्रसाद ने बताया कि हमारी 21 सदस्तीय टीम ने काफी जांबाजी से इस मॉक ड्रिल से साबित किया है। कि मुश्किल में फंसे लोगों को भी वास्तविक रेस्क्यू के दौरान सुरक्षित बचा लाने का दावा करती है। जिसमें सेफ्टी इक्यूपमेंट में जुमार, कैराविंगर, एसेंडर, रोप, लाॅक रोप का भरपूर इस्तेमाल किया जाता है। वहीं टीम ने रोप वे रूट ऑडिट एंड सेफ्टी प्रिकाॅशन पर बारीक से फोकस किया। इस माॅक पोल एंड ड्रिल के बाद एक घंटे का एमएफआर यानि मेडिकल फर्स्ट रिस्पांडर का सेशन चलाया। जिसमें सीपीआर यानि कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन को फोकस किया गया। जो एक प्रकार की मेडिकल थेरेपी है। जिसका आपातकालीन स्थिति में इसका प्रयोग कर, इस थेरेपी की मदद से कई लोगो की जान भी बचायी गयी है। इसका उपयोग उस समय किया जाता है, जब किसी व्यक्ति को सांस लेने में अधिक परेशानी का सामना करना पढ़ रहा हो। या फिर किसी व्यक्ति को अचानक से हार्ट अटैक आ जाये। इसके अलावे ब्लड कंट्रोल और टेंपररी स्ट्रेचर बनाने के तौर तरीके पर चर्चा की गई। रोप वे प्रबंधक दीपक कुमार ने बताया कि हमारी टेक्निकल और ऑपरेशनल टीम में शामिल टेक्निकल हेड रोहित कुमार, सेफ्टी इंचार्ज अजय कुमार सहित दिलिप ठाकुर, रोमन राय व अन्य ने माॅक ड्रिल के अभ्यास को पूरा किया। और रोप वे में फंसे लोगों को सुरक्षित निकाल लाने के लिए रेस्क्यू चेयर का सफल प्रयोग भी किया। ताकि रेस्क्यू चेयर पर असक्षम लोगों को बिठाकर सुरक्षित तरीके से नीचे उतारा जा सके। जिसमें टीम ने तकनीक और साहस के साथ बेहतर प्रदर्शन किया। वैसे भी रोप वे प्रबंधन मेंटनेंस टीम द्वारा प्रतिदिन बतौर सेफ्टी तकनीकी जांच पड़ताल के बाद एनओसी जारी करती है। तब रोप वे को फंक्शनल किया जाता है। वहीं हर महीने के दूसरे तथा चौथे मंगलवार को पूरी तरह से रोप वे को बंद करके फुल मेंटनेंस का काम किया जाता है। उन्होंने कहा कि रोप वे पुरी तरह से सुरक्षित है। और बिना संकोच के पर्यटक इसका आनंद उठाएं। रोप वे प्रबंधन आपकी सुरक्षा की शत प्रतिशत दावा करती है।