राष्ट्रीय पक्षी दिवस:
नूरसराय का गोदाम गबड़ा बना जलीय पक्षी का आश्रय स्थल
नूरसराय । पुतूल सिंह
गंदगियों से बजबजाती नूरसराय बाजार का गोदाम गबड़ा इन दिनों जलीय पक्षी का आश्रय स्थल बन गया है। पहले तो जल मुर्गी (बनमुर्गी ) ही देखा जाता है। पर अब तो जलीय पक्षी छोटा सिल्ही देखा जा रहा है। अभी भी यह गोदाम गबड़ा का स्थिति नारकीय ही है। ऐसे देखा जाय तो छोटा सिल्ही जलीय पक्षी जिले में गिद्दी पोखर व पावापुरी जल मंदिर जलाशय में बहुयात संख्या में देखा जाता है। विशेष बात चीत के दौरान बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बी०एन०एच०एस) के सदस्य राहुल कुमार ने बताया कि इस जलीय पक्षी उड़ान भरते वक़्त सिटी जैसी ख़ास आवाज़ के कारण इसे व्हिसलिंग डक कहते हैं। इसे हिंदी भाषा मे छोटी सिल्ही भी कहते हैं ।
यह बत्तख की एक प्रजाति है जो सालों भर झील और तालाब और नदियों में देखे जाते हैं। छोटी सिल्ही एक स्थानीय पक्षी है लेकिन मौसम अनुसार व भोजन की तलाश में यह कम दूरी के लिए एक जलाशय से दूसरे जलाशय में स्थानीय प्रवास भी करते है।
इस पक्षी के सिर का ऊपरी हिस्सा गहरा भूरा, सिर व गर्दन का बाकी हिस्सा हल्का भूरा, इसके गले के पास सफेद रंग, कंधे व पीठ का रंग गहरा भूरा, कंधे के पंख काले बदामी रंग जबकि पूंछ का रंग गहरा भूरा होता है। इस पक्षी में नर व मादा एक जैसे दिखते है। इस पक्षी का मुख्य भोजन पानी में पाए जाने वाली वनस्पति है। पावापुरी जल मंदिर जलाशय में पर्यटक इन पक्षियों के लिए अनाज लाते हैं ।पर्यटकों के मंदिर परिसर में दाखिल होते ही छोटा सिल्ली जैसे कोई बच्चा तोहफा देखकर उसकी ओर दौड़ता है।
बतख की इस प्रजाति को ‘ट्री डक’ के नाम से भी जाना जाता है। इसका मुख्य कारण इन पक्षियों का पेड़ों पर अपना घोंसला बनाते हैं । यह पानी के किनारे उगी वनस्पति जैसे जलकुंभी पर भी अपने घोंसले बनाते है। ये पक्षी अपना घोंसला पेड़ों के खोखले हिस्से या पेड़ की दो-तीन बड़ी शाखाओं के मुहाने पर तिनकों आदि से बनाते हैं। मादा करीब पक्षी सात से बारह अंडे देती है।