बालासोर रेल हादसा : काल के गाल से सुरक्षित घर लौटे नालंदा के 3 लोग
सिटी स्टार्स । नालंदा
ओडिशा के बालासोर रेल हादसे से पूरा देश मर्माहत है। इस हादसे में चंद क्षणों में सैकड़ों लोग काल के गाल में समा गये, वहीं सैकड़ों लोग अब भी जीवन-मौत से जूझ रहे हैं। इस हादसे का गवाह नालंदा जिले के तीन युवा भी बने। उन्हें सही सलामत घर पहुंचा दिया गया है। अब तक की जानकारी के अनुसार अपने जिले के किसी के साथ अपशगुन की खबर नहीं है।
काल के गाल से बाहर निकल घर पहुंचे नालंदा जिले के तीन लोग कोरोमंडल एक्सप्रेस में सफर रहे थे। चंडी थाना क्षेत्र के पोराजित गांव निवासी राजो महतो के 25 वर्षीय पुत्र शशि भूषण रविवार की शाम अपने घर पहुंचे तो उनके परिजनों ने राहत की सांस ली। शुक्रवार की शाम में हुई घटना के बाद से इनके परिवार के लोगों की जानें अटकी हुई थीं। लोग शशिभूषण की एक खबर पाने के लिए लालायित थे।
दूसरा अस्थावां के कोनंद गांव के कमलेश रविदास के पुत्र उदय कुमार व पत्नी रानी कुमारी के भी घर पहुंचने की सूचना है। उदय कुमार चेन्नई में रेलवे ग्रुप डी कर्मी हैं। हालांकि, उनसे संपर्क नहीं हो पाया है। लेकिन, परिजनों ने बताया कि वे देर शाम में घर पहुंच गये। रेल हादसा के बारे में आंखों देखी हाल सुनते हुए शशि भूषण कहता है भगवान, माता-पिता व शुभचिंतकों के आशीर्वाद से ही जीवन बची है। आपबीती सुनाते हुए कहा कि कोरोमंडल एक्सप्रेस के जनरल टिकट से सिकंदरा से हावड़ा आ रहे थे। शाम का समय था। ऊपर के बर्थ पर लेटा हुआ था कि अचानक बहुत तेज धड़ाम की आवाज हुई। मानों पूरी बोगी उलट गयी हो।
ऊपर के बर्थ पर लेटे होने के कारण नीचे गिर गये। संयोग यह कि गिरने के क्रम में बर्थ का रड हाथ में पकड़ा गया। ऐसे में गिरकर भी खड़ा रहा। पूरी बोगी का सामान और यात्री इधर-उधर फेंका गये। पूरी बोगी में कोहराम मच गया। महिलाएं व बच्चों के चीत्कार से पूरी बोगी में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। सभी लोग बदहवास हो गये। लेकिन, सभी लोग सही सलामत थे। लेकिन, उनके हालात दयनीय थे। जिस बोगी में मैं था वह सही सलामत रहने के कारण चोटें तो सभी को आयीं, लेकिन नुकसान नहीं हुआ।
घटना के कुछ देर बाद देखा कि मेरा व अन्य यात्रियों का सामान बोगी में दूर जाकर गिरा हुआ था। उसे इकट्ठा कर बोगी के गेट पर आये तो बाहर पूरा शोर मचा था। रेल एक्सीडेंट-रेल एक्सीडेंट-रेल एक्सीडेंट…लोग चिल्ला रहे थे। क्षणभर में बहुतेरे लोग काल के गाल में समा गये। ग्रामीण बचाओ, बचाओ… एक दूसरे को कह रहे थे।
कुछ ही देर बाद पहुंचा प्रशासन:
कुछ देर बाद प्रशासन की बहुत सारी गाड़ियां और स्थानीय लोग वहां पहुंच गये। जो बच गये वे घायल थे। कोई गंभीर तो कोई हल्की चोट का शिकार हुआ था। लोग सबको निकालने में जुट गये। बाहर आने के बाद कुछ देर पर एनाउंस किया गया कि बालेश्वर के लिए कई बसें खुल रही हैं। मैं सही सलामत था। इसकी वजह से बस पर सवार हो गया। बालेश्वर आ गया। और, वहां से पटना के लिए बस खुलने की सूचना दी गयी। तब, पटना की बस में बैठकर रविवार की दोपहर में पटना पहुंचा। पटना से घर शाम पांच बजे पहुंचा। चंडी के पोराजित बिगहा निवासी राजो महतो के पुत्र शशि भूषण सिकंदराबाद से 50 किलोमीटर दूर मेडिकल (जगह का नाम) शहर में रहता है। वहां की बुक कंपनी में काम करता है। एक साल पहले गया था। जनरल टिकट लेकर कोरोमंडल एक्सप्रेस से घर लौट रहा था।