सीएम के गृह जिला में हादसे को न्योता दे रहा स्कूल का जर्जर भवन, भीषण गर्मी टूटी-फूटी छत के नीचे पढ़ाई करने को मजबूर बच्चे। पढ़िए पूरी खबर…
-कौशल मणि सिंह की खोजी रपट-
सिटी स्टार्स । करायपरसुराय (नालंदा)। इस भीषण गर्मी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जनपद नालंदा के करायपरशुराय प्रखंड के सलेमपुर में स्कूली बच्चे जर्जर भवन के खुली छत में पढ़ने को विवश है। प्रखंड क्षेत्र में शिक्षा व्यवस्था और स्कूल की इमारतें पूरी तरह से बदहाली का शिकार हो चुकी हैं, साध पंचायत के सलेमपुर गांव स्थिति कन्या प्राथमिक विद्यालय सलेमपुर में बने कमरों की छत पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। पूरी तरह से विद्यालय के सभी कमरे छत विच्छेद है उसी कमरे में बच्चे पठन-पाठन कर रहे हैं। छत कब गिर जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता है। लेकिन, छत के नीचे बैठकर सैकड़ों की संख्या में बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। मासूम बच्चों की जिंदगी पर मौत का संकट मंडरा रहा है। लेकिन, शिक्षा विभाग के अफसरों पर इस ओर कोई ध्यान नहीं है। इस सरकारी स्कूल में शिक्षा के नाम पर मासूमों को मौत के मुंह में धकेलने का काम चल रहा है, लेकिन शिक्षा विभाग नींद की आगोश में है।
15 सालों से स्कूल हो रहा संचालित: आज से लगभग 15 वर्ष पहले जहां इस विद्यालय में गांवों के बच्चे अध्ययन करने के लिए आते थे और बेहतर शिक्षा प्राप्त करते थे लेकिन आज यह विद्यालय अपनी दुर्दशा पर रो रहा है।
3 कमरों में संचालित है विद्यालय: तीन कमरों की स्कूल में तीन कमरे पूरी तरह से क्षतिग्रस्त रोंगटे खड़े कर देने वाली इन तस्वीरों से साफ पता चलता है कि आखिरकार बच्चे पढ़ें तो पढ़े कहां। तीन कमरों में संचालित इस स्कूल की सभी कमरे पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। तो वहीं मात्र कमरों में कक्षा 1 से 5 तक के बच्चे अध्यापन कार्य करते हैं, जर्जर भवन के कमरे में ननिहाल कक्षा एक से पांचवीं तक के बच्चे पढ़ाई करते हैं तो वहीं बरामदे में कक्षा 1 से 5 तक की पढ़ाई संचालित होती है।
गंदगी का अंबार: बरसात के दिनों में विद्यालय पूरी तरह से जलमग्न कीचड़ युक्त हो जाने के कारण मिलने वाला मध्यान भोजन बच्चों को कीचड़ में ही बैठकर करना पड़ता हैं। तस्वीरें चीख-चीख कर पुकार रही है इस विद्यालय के दुर्दशा पर लेकिन राजा की गद्दी पर बैठे हुए शिक्षा के प्रशासनिक अधिकारी मानो इस विद्यालय के बच्चों के साथ कोई खेल खेल रहे हो। एक तरफ सरकार जहा अच्छी शिक्षा विद्यालय खोलकर बच्चों के अच्छे शिक्षा की बात करती है तो वहीं दूसरी तरफ ग्रामीण बच्चे के इन विद्यालयों में अध्ययन करने वाले छात्र आखिरकार किस मंजिल तक पहुंच पाएंगे यह तो प्रदेश के मुखिया ही बता सकते हैं।
जनप्रतिनिधि व अधिकारी का उपेक्षा का शिकार: प्रखंड क्षेत्र के नेताओं की बात की जाए स्थानीय मुखिया भी नहीं लेते हैं शुद्ध पंचायत के मुखिया वीरेंद्र प्रसाद से इसकी जानकारी ली गई विद्यालय की स्थिति की नहीं है जानकारी 2 वर्ष हो चुका है मुखिया का कार्यकाल। जबकि कई बार इस विद्यालय के प्रधानाध्यापक को द्वारा पत्र भी लिखा जा चुका हैं।
क्या कहते हैं विद्यालय का प्रधान: विद्यालय प्रधान संजीव कुमार भारती ने बताया कि 2014 में ही नालंदा डीएम पालिका साहनी ने विद्यालय का किया था निरीक्षण उसी समय विद्यालय का जर्जर स्थिति के बारे में बताया गया था इस विद्यालय में 135 बच्चे नामांकित है विद्यालय में 1 से 5 तक की कक्षा चलती है इस विद्यालय में 5 शिक्षक हैं सभी विद्यालय का भवन जर्जर स्थिति में है इसकी अवगत जिला शिक्षा पदाधिकारी और प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के दी गई है। लेकिन अभी तक नहीं ले गई है जानकारी।
नहीं है पेयजल एवं शौचालय: इस विद्यालय में नहीं तो पेयजल की व्यवस्था है नहीं शौचालय है बच्चे आंगनवाड़ी केंद्र में पीते हैं पानी। छोटे ननिहाल बच्चे ने बताया कि जर्जर भवन होने से इस विद्यालय में नहीं बनता है मध्यान भोजन इस विद्यालय में कभी नहीं कोई लेते हैं पदाधिकारी जानकारी हम लोग जर्जर भवन में पढ़ने को है विवस। इसकी जानकारी हम लोग के अभिभावक कई बार उच्च पदाधिकारी को दिया गया है लेकिन नहीं आते हैं विद्यालय हम लोग जर्जर भवन में पढ़ने को विवश हैं।
क्या कहते हैं प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी: इस बार में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी पुष्पा कुमारी से जानकारी ली गई तो बताया गया कि विद्यालय की नहीं है जानकारी हम विद्यालय जाकर आपको बताएंगे।
क्या कहते प्रखंड विकास पदाधिकारी: प्रखंड विकास पदाधिकारी निलेश कुमार ने बताया कि मीडिया के द्वारा हमें विद्यालय के बारे में जानकारी मिला है यथा स्थिति की जानकारी लेकर इसकी जानकारी जिला पदाधिकारी को दी जाएगी इस मामले में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी से स्पष्टीकरण मांगा गया है।
इस मामले में हिलसा एसडीओ सुधीर कुमार से जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि विद्यालय जाकर प्रखंड विकास पदाधिकारी को इसका रिपोर्ट अनुमंडल कार्यालय को देने को कहा गया है। इस मामले में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी से स्पष्टीकरण मांगने को कहा गया है।